करतला महाविद्यालय में जनजातीय गौरव दिवस वीरता,संस्कृति और विरासत का भव्य संगम

करतला महाविद्यालय में जनजातीय गौरव दिवस  वीरता,संस्कृति और विरासत का भव्य संगम 
      विष्णु कुमार यादव जिला ब्यूरो 
कोरबा (सुघर गांव)। 27 नवंबर 2025, जिले अंतर्गत में स्थित शासकीय महाविद्यालय करतला में जनजातीय गौरव दिवस उत्साह, सांस्कृतिक गरिमा और पारंपरिक उल्लास के साथ भव्य रूप से मनाया गया। महाविद्यालय परिसर जनजातीय कला-विरासत के रंगों से दमक उठा, जहां जनजातीय नायकों के शौर्य, इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर पर सार्थक चर्चा हुई।
         कार्यक्रम की प्रमुख झलकियाँ
 महाविद्यालय में जनजातीय गौरव दिवस का उत्सव पारंपरिक उत्साह के साथ आयोजित। नायकों की वीरगाथाओं और इतिहास पर विस्तृत विचार-विमर्श। परिसर में जनजातीय कला,संस्कृति और लोक परंपराओं की झलक।
         मुख्य अतिथि का संदेश 
मुख्य अतिथि जुड़ावन सिंह ठाकुर (प्रांत अध्यक्ष विद्या भारती) ने कहा कि जनजातीय समाज ने सदियों से प्रकृति संरक्षण,सामाजिक एकता और साहसिक जीवन मूल्यों को जीवित रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से इन जीवन मूल्यों को अपनाने की अपील की।
       मुख्य वक्ता का प्रेरक उद्बोधन
मुख्य वक्ता रघुराज सिंह उइके (अध्यक्ष वनवासी कल्याण आश्रम कोरबा) ने कहा कि जनजातीय नायक केवल इतिहास के नाम नहीं, बल्कि प्रेरणा के ज्वलंत स्तंभ हैं। उन्होंने कहा — उनके आत्मसम्मान और संघर्ष शक्ति ने राष्ट्र की रक्षा की है। युवा पीढ़ी उनके पदचिह्नों पर चलकर समाज और देश निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जनजातीय संस्कृति प्रकृति-सहज जीवनशैली का आदर्श रूप है, जो आज के समय में और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
         विशिष्ट अतिथियों के विचार 
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पुष्पराज सिंह (जिला संयोजक – जनजाति सुरक्षा मंच) और लोक कला आयाम प्रमुख बीरबल सिंह भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा — जनजातीय कला, लोकपरंपराएँ और रीति-रिवाज भारतीय संस्कृति की मूल आत्मा हैं।
आज आवश्यकता है कि युवा इन पारंपरिक कलाओं को सीखकर अपनी पहचान को दृढ़ता से दुनिया के सामने प्रस्तुत करें।
              संचालन और आभार 
कार्यक्रम का उत्कृष्ट संयोजन डॉ.सपना मिश्रा ने किया तथा मनीषा मिंज टोप्पो ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया। अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य मृगेश कुमार यादव ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में सांस्कृतिक जागरूकता और समाज के प्रति जिम्मेदारी बढ़ाते हैं।
       सांस्कृतिक कार्यक्रमों की चमक
 पारंपरिक नृत्य,गीत और लोक-संगीत,वाद-विवाद, जनजातीय संस्कृति आधारित आकर्षक प्रस्तुतियाँ। कार्यक्रम में विद्यार्थियों और क्षेत्रवासियों की अधिक संख्या में उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ा दिया।

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