प्रशासनिक लापरवाही या सांठगांठ? - उरगा क्षेत्र में अवैध रेत परिवहन का बोलबाला,ड्राइवरों के खुलासे ने खोली पोल

प्रशासनिक लापरवाही या सांठगांठ? - उरगा क्षेत्र में अवैध रेत परिवहन का बोलबाला,ड्राइवरों के खुलासे ने खोली पोल 
   विष्णु कुमार यादव जिला ब्यूरो
कोरबा (सुघर गांव)। 01 नवंबर 2025, कोरबा जिले के उरगा क्षेत्र में अवैध रेत परिवहन खुलेआम जारी है। दिन - रात नदी घाटों से ट्रैक्टरों में रेत की निकासी हो रही है, जिससे न केवल सरकार को लाखों का राजस्व नुकसान पहुंच रहा,बल्कि नदी घाटों की प्राकृतिक संरचना भी खतरे में है। भैसामुड़ा,तरदा,चिचोली और कटबितला रेत घाटों से ट्रैक्टरों की लंबी कतारें रोज गुजरती दिखाई देती हैं। प्रतिबंधित अवधि में भी यह कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। स्थानीय रेत माफिया पूरी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं और प्रशासन मानो आंखें बंद कर बैठा है।
    ट्रैक्टर चालकों के चौंकाने वाले खुलासे
 जांच के दौरान जब ड्राइवरों से बात की गई,तो कई हैरान कर देने वाले खुलासे सामने आए -
 राहुल (ट्रैक्टर चालक) - “हम रेत भैसामुड़ा घाट से लाते हैं। वाहन मालिक कौन है,पता नहीं। जैसा कहा जाता है, वैसा करते हैं।” दीपक (चालक) - “हमारा ट्रैक्टर तिलकेजा निवासी संतोष अग्रवाल का है। रोज रेत ढोते हैं,किसी से डर नहीं।” दूसरा दीपक (चालक) - “हम भैसामुड़ा निवासी चंदन राजपूत का ट्रैक्टर चलाते हैं, रॉयल्टी कोई नहीं देता।” हीरालाल चालक निवासी मड़वारानी - हम संजय पटेल (मड़वारानी) का ट्रैक्टर चलाते हैं। हर महीने ‘पैसा पटाया जाता है’,ताकि कोई रोक - टोक न हो। बुलेट मोटर साइकिल में आने वालों को भुगतान किया जाता है।”
      रेत की मांग बना अवैध कारोबार की वजह
 प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही लगातार अपने आवास निर्माण में रेत की जरूरत जता रहे हैं। इसी मांग का फायदा उठाकर रेत माफिया नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
       *सरकारी राजस्व को भारी नुकसान*
 रॉयल्टी के बिना रेत की निकासी से हर दिन लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। ट्रैक्टर मालिक भी जानबूझ कर रॉयल्टी जमा नहीं कर रहे, जिससे सरकार का राजस्व घाटे में जा रहा है।
       *प्रशासन पर उठे सवाल*
 क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर रेत परिवहन के बावजूद न तो खनिज विभाग की कार्रवाई हो रही है और न ही पुलिस की सख्ती नजर आती है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि “मासिक वसूली” के कारण यह पूरा नेटवर्क बेखौफ चल रहा है।
       *सवाल उठता है
क्या उरगा क्षेत्र में रेत माफियाओं की ‘रेतीली राजनीति’ प्रशासनिक तंत्र पर भारी पड़ रही है?
अब देखना यह है कि विभाग इस गंभीर खुलासे के बाद कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दब कर रह जाएगा।

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