गांव - गांव तक पहुँची तहसील सुविधा,बढ़ी पारदर्शिता और गति - 1 नवम्बर को 5500 अधिकार अभिलेख होंगे वितरित
विष्णु कुमार यादव जिला ब्यूरो
कोरबा (सुघर गांव)। 01 नवंबर 2025, छत्तीसगढ़ राज्य गठन वर्ष 2000 में कोरबा जिले में केवल चार तहसीलें - कोरबा, करतला, कटघोरा और पाली - हुआ करती थीं। सीमित प्रशासनिक ढाँचे के कारण ग्रामीणों को राजस्व प्रकरणों के समाधान के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। न्याय प्रक्रिया में विलंब आम बात थी।
जिले में 04 से बढ़कर 12 तहसीलें
राज्य गठन के बाद से कोरबा जिले ने प्रशासनिक विस्तार की दिशा में अद्भुत प्रगति की है। जनसंख्या वृद्धि और जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए नई तहसीलों का गठन किया गया। आज जिले में कुल 12 तहसीलें कार्यरत हैं - कोरबा, करतला, कटघोरा, पाली, पोड़ीउपरोड़ा, हरदीबाजार, दर्री, अजगरबहार, भैसमा, बरपाली, दीपका और पसान।
*नई तहसीलों के गठन वर्ष*
1. पोड़ी उपरोड़ा – 2008
2. हरदीबाजार – 2020
3. दर्री – 2020
4. अजगर बहार – 2022
5.भैसमा – 2022
6. बरपाली – 2022
7. दीपका – 2022
8. पसान – 2022
इन नई तहसीलों के गठन से न केवल ग्रामीणों की प्रशासनिक पहुँच आसान हुई, बल्कि राजस्व प्रकरणों के निपटारे में तेजी और पारदर्शिता आई है।
*कलेक्टर अजीत वसंत का प्रभावी नेतृत्व*
राजस्व व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए कलेक्टर अजीत वसंत हर 15 दिनों में राजस्व अधिकारियों की बैठक लेकर प्रकरणों की समीक्षा करते हैं। उनका प्रमुख उद्देश्य - “हर प्रकरण का समयबद्ध और निष्पक्ष निराकरण” - अब जिले की प्रशासनिक संस्कृति बन चुका है।
*राजस्व प्रकरणों के निराकरण में ऐतिहासिक वृद्धि*
वर्ष 2023-24 में 12,578 प्रकरण दर्ज हुए,जिनमें से 5,828 का निराकरण हुआ। वर्ष 2024-25 में 16,565 प्रकरण दर्ज हुए, जिनमें से 12,642 का निपटारा किया गया। यह 76.31% की उत्कृष्ट सफलता दर को दर्शाता है, जो प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण है।
*स्वामित्व योजना - आत्मनिर्भर ग्राम की ओर कदम* स्वामित्व योजना के तहत 9,114 अधिकार अभिलेख पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। आगामी 1 नवम्बर 2025 को 5,500 अधिकार अभिलेखों का वितरण किया जाएगा। यह पहल ग्रामीणों को भू-स्वामित्व का अधिकार प्रदान कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बना रही है।
*कोरबा - सशक्त प्रशासन, सुशासन की नई पहचान*
यह 25 वर्षों की यात्रा केवल आंकड़ों की नहीं,बल्कि बदलते कोरबा की कहानी है - जहाँ शासन की पहुँच जनता तक पहुँची और जनता की आवाज शासन तक। राजस्व प्रशासन के इस सुदृढ़ीकरण ने कोरबा को तेज़, पारदर्शी और जन केंद्रित शासन की मिसाल बना दिया है।
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