विष्णु कुमार यादव जिला ब्यूरो
कोरबा (सुघर गांव)। 01 सितंबर 2025,
बरसात का मौसम आते ही खेतों की मेड (सीमा/बाँध) पर पेड़ लगाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। किसान भाई छाया, मिट्टी की मजबूती और पर्यावरण बचाने की सोच से पौधे लगाते हैं। लेकिन कई बार यह नेक पहल विवाद का रूप ले लेती है। सामने वाला किसान पेड़ उखाड़ने की धमकी देता है और बात झगड़े तक पहुँच जाती है। ऐसी स्थिति में किसानों को कानूनी जानकारी होना बेहद ज़रूरी है।
कानूनी स्थिति
स्थिति 1: जब सामने वाला केवल खेती कर रहा है, मालिक नहीं है :- अगर उसके पास पट्टा, रजिस्ट्री, खसरा-खतौनी जैसे कागज़ नहीं हैं, तो वह पेड़ उखाड़ने को मजबूर नहीं कर सकता। अगर धमकी देता है या जबरदस्ती पेड़ उखाड़ता है तो यह अपराध है।
लागू धाराएँ
IPC 427 – संपत्ति को नुकसान (पेड़ काटना/उखाड़ना), IPC 504 – गाली-गलौज या अपमान,
IPC 506 – आपराधिक धमकी, IPC 323/352 – हाथापाई/मारपीट की स्थिति में।
स्थिति 2: जब सामने वाला कानूनी मालिक है
पट्टा/रजिस्ट्री/खसरा वाले किसान को ही मेड पर पेड़ लगाने का अधिकार है। लेकिन धमकी देना या गाली-गलौज करना अपराध है।
लागू धाराएँ
IPC 504 – गाली-गलौज, IPC 506 – धमकी,
पेड़ लगाने/हटाने का अंतिम निर्णय राजस्व रिकॉर्ड व न्यायालय पर निर्भर करेगा।
किसानों के लिए सुरक्षित रास्ता
सबसे पहले खेत का खसरा-नक्शा/पंचनामा निकलवाएँ। अगर मेड आपकी ज़मीन में है तो आप पूरी तरह सुरक्षित हैं। अगर मेड साझा है या सामने वाले की ज़मीन में है तो पेड़ लगाने से बचें।
निष्कर्ष
बरसात में पेड़ लगाना पर्यावरण और खेती दोनों के लिए शुभ है, लेकिन इसके नाम पर विवाद या लड़ाई-झगड़े से नुकसान ही होगा। किसान भाइयों को चाहिए कि हमेशा कागज़ी सबूत और कानूनी रास्ता अपनाएँ।
विष्णु कुमार यादव की अपील
“खेत-खेत की लड़ाई से बचें, भाईचारा बनाए रखें और हर स्थिति में कानून का सहारा लें।”
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